Thursday, July 31, 2014

मेरी पोस्ट (ग़ज़ल :दिखे बदले हुए चेहरे ) को जागरण जंक्शन में

मेरी पोस्ट (ग़ज़ल :दिखे बदले हुए चेहरे ) को जागरण जंक्शन में






 प्रिय मित्रों मुझे ये बताते हुए बाहर हर्ष हो रहा है कि मेरी पोस्ट (ग़ज़ल :दिखे बदले हुए चेहरे ) को जागरण जंक्शन में शामिल किया गया है।
आप भी अपनी प्रतिक्रिया से अबगत कराएं



Dear User,

Your दिखे बदले हुए चेहरे has been featured on Jagran Junction

Click Here to visit your blog : मैं, लेखनी और जिंदगी

Thanks!
JagranJunction Team




http://madansbarc.jagranjunction.com/2014/06/14/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%96%E0%A5%87-%E0%A4%AC%E0%A4%A6%E0%A4%B2%E0%A5%87-%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%8F-%E0%A4%9A%E0%A5%87%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A5%87/


दिखे बदले हुए चेहरे

बदलते बक्त में मुझको दिखे बदले हुए चेहरे
माँ का एक सा चेहरा , मेरे मन में पसर जाता


नहीं देखा खुदा को है ना ईश्वर से मिला मैं हुँ
मुझे माँ के ही चेहरे मेँ खुदा यारों नजर आता


मुश्किल से निकल आता, करता याद जब माँ को
माँ कितनी दूर हो फ़िर भी दुआओं में असर आता


उम्र गुजरी ,जहाँ देखा, लिया है स्वाद बहुतेरा
माँ के हाथ का खाना ही मेरे मन में उतर पाता


खुदा तो आ नहीं सकता ,हर एक के तो बचपन में
माँ की पूज ममता से अपना जीबन , ये संभर जाता


जो माँ की कद्र ना करते ,नहीं अहसास उनको है
क्या खोया है जीबन में, समय उनका ठहर जाता



मदन मोहन सक्सेना

No comments:

Post a Comment