प्रिय मित्रों मुझे बताते हुए बहुत
ख़ुशी हो रही है कि मेरी पोस्ट ,
( ग़ज़ल )हर पल याद रहती है निगाहों में बसी सूरत जागरण जंक्शन में प्रकाशित हुयी है , बहुत बहुत आभार जागरण जंक्शन टीम। आप भी अपनी प्रतिक्रिया से अबगत कराएँ .
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सजा क्या खूब मिलती है किसी से दिल लगाने की
तन्हाई की महफ़िल में आदत हो गयी गाने की
हर पल याद रहती है निगाहों में बसी सूरत
तमन्ना अपनी रहती है खुद को भूल जाने की
उम्मीदों का काजल जब से आँखों में लगाया है
कोशिश पूरी होती है पत्थर से प्यार पाने की
अरमानो के मेले में जब ख्बाबों के महल टूटे
बारी तब फिर आती है अपनों को आजमाने की
मर्जे इश्क में अक्सर हुआ करता है ऐसा भी
जीने पर हुआ करती है ख्वाहिश मौत पाने की
( ग़ज़ल )हर पल याद रहती है निगाहों में बसी सूरत
मदन मोहन सक्सेना
तन्हाई की महफ़िल में आदत हो गयी गाने की
हर पल याद रहती है निगाहों में बसी सूरत
तमन्ना अपनी रहती है खुद को भूल जाने की
उम्मीदों का काजल जब से आँखों में लगाया है
कोशिश पूरी होती है पत्थर से प्यार पाने की
अरमानो के मेले में जब ख्बाबों के महल टूटे
बारी तब फिर आती है अपनों को आजमाने की
मर्जे इश्क में अक्सर हुआ करता है ऐसा भी
जीने पर हुआ करती है ख्वाहिश मौत पाने की
( ग़ज़ल )हर पल याद रहती है निगाहों में बसी सूरत
मदन मोहन सक्सेना
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